विदेशियों के लिए


प्रवेश औपचारिकताएँ

1. अण्डमान तथा निकोबार द्वीप समूह विदेषियों विषयक (प्रतिबंधित क्षेत्र) आदेश, 1963 के तहत होने के कारण कोई भी विदेषी सक्षम प्राधिकारी से अनुमति प्राप्त किए बिना इन द्वीपों में न तो प्रवेष कर सकते हैं और न ही ठहर सकते हैं। वर्तमान में सक्षम प्राधिकरी से प्रतिबंधित क्षेत्र अनुमति प्राप्त करने के बाद विदेषी तीस दिनों तक निम्नलिखित स्थानों का दौरा कर सकते हैं:-

दिन और रात में भ्रमण की अनुमति

  1. नगरपालिका क्षेत्र, पोर्ट ब्लेयर
  2. हैवलॉक द्वीप
  3. लॉग आईलैंड
  4. नील द्वीप
  5. डिगलीपुर
  6. मायाबन्दर
  7. रंगत

केवल दिन में भ्रमण की अनुमति

  1. जॉली ब्वॉय
  2. रेड स्किन
  3. साऊथ सिंक
  4. माऊन्ट हेरियट
  5. मधुबन

2. पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह में और अधिक स्थानों को पर्यटकों के लिए खोले जाने का मामला सक्रिय विचाराधीन है:-

जो स्थल रात और दिन में भ्रमण के लिए खुले हैं:-

  1. जनजाति आरक्षित क्षेत्र को छोड़कर मध्य अण्डमान का सम्पूर्ण द्वीप।
  2. बोट, होबडे ट्विन द्वीप, तारमुगली, मलय और प्लूटो को छोड़कर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय समुद्री उद्यान के सभी द्वीप, संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन से विशेष अनुमति पर इन द्वीपों में रात्रि में ठहरने की अनुमति।
  3. दक्षिण अण्डमान का सम्पूर्ण द्वीप, जनजाति आरक्षित को छोड़कर
  4. बाराटांग द्वीप
  5. नॉर्थ पैसेज द्वीप
  6. लिटिल अण्डमान, जनजाति आरक्षित क्षेत्र को छोड़कर

केवल दिन में भ्रमण के लिए स्थल

  1. रॉस द्वीप
  2. नारकोंडम द्वीप
  3. इन्टरव्यू द्वीप
  4. ब्रदर आइलैण्ड
  5. सिस्टर आईलैण्ड
  6. बैरन द्वीप - केवल जहाज पर ही भ्रमण की अनुमति, तट पर उतरने की अनुमति नहीं।

3. विदेषी पर्यटकों को अण्डमान तथा निकोबार द्वीपसमूह में खुले क्षेत्रों में भ्रमण की अनुमति होगी बषर्ते कि मंत्रालय के दिनांक 30.06.92 के परिपत्र सं. 15011/14/91-एफ.आई द्वारा जारी दिषानिर्देष के अनुरूप हों, जो इस प्रकार है:-

  1. क) भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों के साथ अण्डमान तथा निकोबार द्वीपसमूह के मुख्य वन्यप्राणी वार्डन द्वारा नामित एक गाईड होना चाहिए और उन्हें उद्यान क्षेत्र में आचार संहिता का पालन करना होगा।
  2. ख) आगन्तुकों को प्रवेष षुल्क देना होगा। राष्ट्रीय समुद्री उद्यान संहिता का उल्लंघन किए जाने पर अण्डमान तथा निकोबार प्रषासन द्वारा दोषी व्यक्ति पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
  3. ग) द्वीपों में और द्वीपों के बाहर कोई जेट्टी अथवा स्थायी ढाँचे बनाने की अनुमति नहीं होगी। बार-बे-क्यू अथवा अन्य भोजन तैयार करने की अनुमति नहीं होगी। केवल स्थानिक सामग्रियों से षौचालय आदि के लिए झोपड़ी बनाने की अनुमति होगी। छांव के लिए ईंट, पत्थर के आश्रय बनाने की अनुमति नहीं होगी। छांव के लिए एक टेकदार छत बनाने की अनुमति होगी।
  4. घ) किसी भी प्रयोजन के लिए वन को नहीं लगाया जाएगा स्थायी ढाँचा जैसे होटल आदि बनाने की अनुमति नहीं होगी। द्वीप विकास प्राधिकरण के दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन होना चाहिए और तटीय क्षेत्र विनियम का पालन अवश्य किया जाए।
  5. ङ) छोटे बोट अथवा ग्लास बॉटम बोट पर समुद्री उद्यान क्षेत्र में भ्रमण प्रतिबंधित होगा। इस क्षेत्र में तेल रिसाव की अनुमति नहीं है।
  6. च) पहचान किए गए क्षेत्रों में ही स्कूबा डाइविंग और जल के भीतर फोटोग्राफी की अनुमति होगी, पर समुद्री उद्यान से मूंगे, मछली अथवा अन्य सामग्रियों को उठाने की अनुमति नहीं होगी।
  7. छ) किसी भी एंजेन्सी द्वारा इस संबंध में जारी प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट में ’’मुख्य वन्य प्राणी वार्डन, अण्डमान तथा निकोबार द्वीपसमूह द्वारा लगाए गए प्रतिबंध‘‘ वाली पंक्ति लिखी होनी चाहिए।
  8. ज) माऊन्ट हेरियट और मधुबन द्वीपों में भ्रमण करने वाले विदेशी पर्यटकों का नियंत्रण वन्यप्राणी प्रतिनिधियों अण्डमान तथा निकोबार द्वीपसमूह के परामर्ष पर अण्डमान तथा निकोबार प्रषासन द्वारा किया जाएगा।
  9. झ) अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह में पर्यटकों की भीड़ को नियंत्रित करते समय पर्यावरण तथा वन मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा।
  10. ञ) दो ज्वालामुखी द्वीप, बैरन द्वीप और नारकोन्डम द्वीप में से बैरन द्वीप में बोट पर ही भ्रमण की अनुमति होगी। तट पर उतरने की अनुमति नहीं होगी। प्रषासन द्वारा इस द्वीप पर जाने वाले आगन्तुकों के लिए अनुरक्षक उपलब्ध कराया जाएगा। नारकोन्डम द्वीप के लिए यह निर्णय लिया गया है कि विदेषी पर्यटकों के डाईविंग के लिए खुला रहेगा और बिना अनुरक्षक के दिन के समय भ्रमण कर सकेंगे।
  11. ट) गृह मंत्रालय की पूर्व अनुमति के बिना म्यामांर नागरिकों को मायाबंदर और डिगलीपुर के भ्रमण की अनुमति नहीं होगी।

4. वर्तमान अनुसार जो सक्षम प्राधिकारी प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट जारी करने का कार्य जारी रख सकते हैं, उनके नाम है:-

  1. क) अखिल भारतीय मिषन तथा विदेषी पद
  2. ख) एफ.आर.आर.ओ. दिल्ली, कोलकाता तथा मुम्बई
  3. मुख्य आप्रवास अधिकारी, चेन्नई
  4. आप्रवास अधिकारी, पोर्ट ब्लेयर

ठहरने की अवधि

5. आगे यह भी निर्णय लिया गया कि विदेषी पर्यटक निर्धारित षर्तों के अनुसार उपर्युक्त स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं। अण्डमान तथा निकोबार द्वीपसमूह में ठहरने की अधिकतम अवधि 30 दिन होगी, भारत सरकार द्वारा प्रशासन को प्रदत्त शक्तियों का प्रत्यायोजन के अनुसार इसकी अवधि 15 दिनों के लिए बढ़ाई जा सकती है।

भारतीय को अंडमान दर्शन के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है लेकिन अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह के जनजातीय क्षेत्रों का दौरा प्रतिबंधित है।