लुप्त प्राय जन जातीय वर्गो पर संक्षिप्त विवरण

विशेषकर लुप्त प्राय जन जातीय वर्गो (पी टी जी एस) जिन्हें अण्डमान तथा निकोबार द्वीपसमूह में पहचाना गया। वे हैंः-

निकोबारी जन जाति की कला एवं शिल्प
जारवा और सेन्टिनली का कल्याण

गे्रट अंडमानी

Great Andamanese एक समय ग्रेट अंडमानी का अंडमान द्वीपसमूह में सबसे अधिक आबादी थी। 1789 में उनकी अनुमानित जनसख्या 10,000 थी। वर्ष 1901 में इनकी संख्या घटकर 625 हो गई और 1969 मे इनकी संख्या घटकर मात्र 19 हो गई। वर्ष 1971 की जनगणना के अनुसार मात्र उनकी संख्या 24 थी लेकिन वर्ष 1999 में उनकी संख्या बढ़ कर 41 हो गई। प्रशासन इस जनजाति के संरक्षण और परिरक्षण के लिए भरसक प्रयास कर रहा है। इस जनजाति को स्टेªट आईलैण्ड नाम के एक छोटे से द्वीप में बसाया गया। गे्रट निकोबारी (गे्रट निकोबारी (रसद इकटठा करने वाले है) एकत्रक हैं। आजकल वे चावल, दाल, चपाती और अन्य आधुनिक खाद्य सामग्री खाते हंै। वे गर्म मसालों का उपयोग करके खाना पका सकते हैं। अब भी वे जरूरत पड़ने पर शिकार पर भोजन एकत्रित करने जाते हैं। उनके परम्परागत भोजन में मछली, डुगाँग, कछुऊा, कछुऊा के अण्डे, केकड़ा कन्द मूल शामिल हैं। वे सुकर अंडमान के समुद्र में पाए जाने वाले मोनिटर (लिजर्ड) चिपकली आदि तटीय लोग होने के कारण वे विभिन्न प्रकार के केकडा और मछली के अलावा ओक्टोपस, समुद्री जीव जैसे टर्बन शैल, स्कोर्पियन शैल सन्दियल हेल्मेंट, टोकस ओर स्क्रय शैल से निकाला गया मोलसेस पंसद करते हैं। बाद में कुछ लोग सब्जियों की खेती करने लगे और कुक्कुट पालन फार्म की भी स्थापना कीं। वे शराब पीने की आदत के अलावा उन्हें गैर-जन जातिय, शहरी, समुदाय के सम्पर्क में आने के बाद संक्रामक रोगों से ग्रस्त हुए हैं।

ओंगी

onge ओंगी भारत के सबसे आदिम जन जाति में से एक है। वे निग्रीटों जाति में से है (सम्बन्ध रखते हैं) और उन्हें लिटिल अंडमान में डुगोंग क्रीक के आरक्षित क्षेत्र में रखा गया है। वे अर्ध खानाबदोश जनजाति हैं और वे पूर्णरूप से प्रकृति से प्राप्त आहार पर निर्भर हंै। वे अब बाहर लोगों के प्रभाव में आए हैं, उनसे मित्रता करने के प्रयास में सफलता प्राप्त हुई है। उन्हें प्रशासन द्वारा पक्का मकान, आहार, कपड़ा, औषधि आदि प्रदान किया गया। वे कछुआ, मछली, कन्दमूल और कटहल आदि खाते हैं। उन्होंने कारीगरी और दस्तकारी विकसित किया। ओंगी डोंगी भी बना सकते हैं। डुगाँग क्रीक सेटलमेन्ट में एक प्राथमिक विद्यालय चल रहा है। इस जनजाति की जनसंख्या स्थिर है और इस समय इसकी संख्या 94 है।









जारवा

jarawas जारवा जन जातियों की अनुमानित जनसंख्या 341 है वे दक्षिण ओर मध्य अण्डमान द्वीपसमूह के पश्चिमी तट पर बसे हैं। वे शिकार करने और संग्रहण करने की सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं। भारत सरकार, गृह मंत्रालय ने जन जातीय कार्य मंत्रालय और अंडमान तथा निकोबार प्रशासन के साथ परामर्श करके विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञों की सिफारिश के आधार पर अंडमान द्वीपसमूह के जारवा जनजातीय पर एक नीति को अंतिम रूप दिया। इस नीति को दिसम्बर 2004 में अधिसूचित किया था और जारवाओं के संरक्षण और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए इस नीति को सख्ती से लागू किया जा रहा है। वन पर आधारित परम्परागत खाद्य सामग्री जैसे सुकर, कछुआ, शहद और मछली आदि वन पर आधारित बढ़िया स्रोत को सुनिश्चित करने के लिए जारवा आरक्षित क्षेत्र को 847 वर्ग किलोमीटर से बढ़ाकर 1028 वर्ग किलोमीटर कर दिया गया। हाई टाइड लाइन से 5 कि.मी. तक तटीय जल को जन जातीय आरक्षित क्षेत्र घोषित करके अनन्य मेरीन स्रोत बेस को भी बढ़ाया गया। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र टुसनाबाद, कदमतला और जी बी पंत अस्पताल, पोर्ट ब्लेयर में जारवाओं के लिए अलग से एक वार्ड प्रदान किया गया। ऐसे वार्डो को जनजाति आरक्षित वार्ड घोषित किया गया ताकि गैर जनजातीय लोगो को जारवाओं से मिलने मंे रोक लगाया जा सके। जारवा रोगियों का इस केन्द्र में उपचार किया जाता है। जारवा आरक्षित क्षेत्र के चारों और 5 कि.मी. क्षेत्र को बफर जोन अधिसूचित किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जाए कि वे बडे़ पैमाने पर पर्यटन अथवा वाणिज्यिक क्रियाकलापों का शिकार न बने।

सेन्टिनली

jarawas सेन्टिनली नार्थ सेन्टिनल द्वीप का निवासी है। यह क्षेत्रफल लगभग 60 वर्ग कि.मी. है। वे विश्व के एक मात्र पुरापाषाण लोग हैं जो आज भी किसी अन्य वर्ग अथवा समुदाय से बिना किसी सम्पर्क के जीवन व्यतीत कर रहे है। उन्हें ओंगी और जानवा जनजातियों से एकदम अलग माना जाता है। उन्होंने अपने एकान्तवास के कारण अपना पृथक पहचान बना ली है। सेन्टिनली शत्रुतापूर्ण स्वभाव के हैं और वे कभी अपना द्वीप नहीं छोड़ते। इस शत्रुतापूर्ण जनजाति को बहुत लोग जानते हंै।

शोम्पेन

jarawas शोम्पेन का निवास स्थान ग्रेट निकोबार है जो निकोबार वर्ग के द्वीपसमूह में सबसे बड़ा है। निकोबारी की तरह शोम्पेन भी मंगोलियन जाति के हैं। शोम्पेन के दो वर्ग है छोटा वर्ग मावा शोम्पेन के नाम से जाना जाता है। वे नदी घाटी के साथा तटीय क्षेत्र के काफी निकट बसते हैं। शोम्पेन बड़े शर्मीले स्वभाव के हैं। उनका निकोबारियों के साथ काफी घनिष्ठता है। शोम्पेन का प्रमुख वर्ग शत्रुतापूर्ण स्वभाव के शोम्पेन अलेक्सजे़न्डर और गलातिया नदी क्षेत्र और द्वीपसमूह के क्षेत्र के पूर्वी तट पर भी रहते हैं। भूतकाल में मावा शोम्पनों पर शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाले शोम्पनों द्वारा बार-बार आक्रमण किया गया। लेकिन अब इस प्रकार की शत्रुतापूर्ण व्यवहार समाप्त हो गया है। ऐसे इस लिए हुआ क्योंकि विभिन्न बीमारियों के कारण इनकी संख्या काफी कम हो गई। शोम्पनी बीमारियों से पीड़ित है और शारीरिक रूप से काफी कमजोर हंै। ग्रेट निकोबार, कैम्पबेल बे में शोम्पेनो की बस्ती बसाने के बाद से वे सेटलरों से मिलने से उनका शर्मीलापन और सभ्य लोगों के प्रति उदासीनता धीरे-धीरे दूर हो गई है।