दृश्य तथा जनसमूह

अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह सदियों से गूढ़ रहस्यों से ढका हुआ है क्योंकि यह रंग-बिरंगे प्राकृतिक दृश्यों से आच्छादित है । यह द्वीपसमूह जो घने जंगल के बीच अनगिनत आकर्षक फूलों और पक्षियों से भरपूर है और यहाँ टेढ़े-मेढ़े सफेद तटीय रेखा के किनारे हिडोंले खाते खजूर के वृक्ष मानों झूला झूल रहे हैं । जन जातीय ढोल पर ताल की आवाज निस्तब्धता को भंग करते हैं और टेकनिकलर मछली जल में अपने मार्ग की ओर अग्रसर है । यह अपूर्व सुन्दरता जो कि अनन्त रोमानी प्रभाव को उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार है, इसका सुन्दर वर्णन कवि कीट्स की कविता में किया गया है - ‘‘मन मोहक मंत्र मुग्ध करने वाला झरोखा जो संकटपूर्ण समुद्री झाग वाले भूमि की ओर दृष्टिगोचर है ।’’ अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह का सुरम्य दृश्य एक ऐसा दृश्य सृजित करता है जो जीवन की यथार्थता के विविध रूपों के विरूद्ध मानव मस्तिष्क में भावना उजागर करता है । ’’वह वडर्सवर्थ के दर्शनशास्त्र के आधार पर धरती पर स्वर्ग’’ हमारा प्रफुल्लित सुख जो हम पूर्ण शुभकामनाओं के साथ थामे हुए हैं, का मार्गनिर्देश करेगा ।’’ इस द्वीपसमूह की अद्वितीय सुन्दरता मनुष्यों के मन में प्रकृति से प्रेम का बीज बोता है प्रकाश और छाया के सूक्ष्म सौन्दर्य और चिडि़यों के कल-रव से गूंजित वातावरण प्रकृति की सुन्दरता में चार चाँद लगाते हंै और प्रकृति की सुन्दरता मानव मन को हर लेती है । ऐसे वातावरण से प्रकृति की सुन्दरता का दर्शन करने आए लोगों के मन में सृजनात्मक और रचनात्मक अनुभूति का जन्म होता है। मानव किसी व्यक्ति के आधुनिक बनने के परिवर्तन के खिलाफ है । मानव सम्मिश्र मनोभाव, असीम उत्सुकता और दुःखदपूर्ण विवशता से ग्रस्त है ‘‘अभिव्यक्ति की आवश्यकता है लेकिन अभिव्यक्ति नहीं हो पा रही है । वह जीवन की भावनात्मक बोध और परिसंबंध के बीच झूझ रहा है। इस द्वंद्व से निजात पाने की आवश्यकता है लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया।’’

अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह का सामुद्रिक महत्व है । ब्रिट्रिश के कार्यकाल के दौरान राज तथा अन्य खतरनाक अपराधियों को मुख्यभूमि से पोर्ट ब्लेयर के उत्तर पूर्व भाग में अटलान्टा पेाइन्ट स्थित सेल्युलर जेल में निर्वासित कर दिया गया । इस प्रकार यह द्वीपसमूह ‘काले पानी की सजा’ के नाम से विख्यात हो गया ।

अंडमान तथा निकोबार बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्व भाग में स्थित 572 द्वीपसमूह, लघु द्वीप और चट्टानों का समूह है । इनमें से कई द्वीपों में आबादी है और कई द्वीपों में आबादी नहीं है। ये द्वीप लम्बे तथा संकीर्ण टूटे जंजीर में लगभग 800 कि.मी. की दूरी पर उत्तर दक्षिण भाग में फैले हुए हैं । ऐसा माना जाता है कि भूमि से यह बर्मा के केप नेगरिस के दक्षिण भाग से अंदालस (सुमात्रा) में ऐचिन हेड (केप पेडरो) से जुड़ा है । इस द्वीपसमूह के वनस्पति-जीवजन्तु इस बात का संकेत देते हैं कि भूमि से जुडे़ रहने का वह रूप जो विद्यमान है उनके वर्तमान जीवन शैली के विकसित होने से पूर्व के होंगे।